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Meningitis क्या होता है ?

  मेनिंगाइटिस मस्तिष्क की सूजन और इन्फेक्शन को कहा जाता है। यह रोग मस्तिष्क की ऊपरी परत, जिसे आराच्नॉयड मेम्ब्रेन कहा जाता है, और मस्तिष्क की रीढ़ की हड्डी के बीच होने वाले स्थान पर प्रभावित होता है। मेनिंगाइटिस अक्सर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है। यह रोग आमतौर पर खांसी, बुखार, शीघ्र आत्मिकता, सिरदर्द, ऊब, थकान और अन्य लक्षणों के साथ शुरू होता है। कुछ लोगों में उल्टी, खराब पाचन, अक्षमता या बार-बार उठने वाली इच्छा भी हो सकती है। अगर इसे गंभीरता से न लिया जाए तो यह बहुत हानिकारक हो सकता है और मस्तिष्क में संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। मेनिंगाइटिस का उपचार विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह पर आधारित होता है। यह रोग दवाओं, जैसे कि एंटीबायोटिक्स, और अन्य उपचार, जैसे कि आराम, आहार और पीने के नियमित पालन, द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। बैक्टीरियलमेनिंगाइटिस के लिए टीकाकरण भी उपलब्ध है, जिससे यह रोग रोका जा सकता है। मेनिंगाइटिस एक गंभीर बीमारी होने के कारण, यदि आपको इसके लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत एक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। बैक्टीरियल मेनिंगाइटिस एक गंभीर स्थिति होती ह

ओलिगोस्पर्मिया की जानकारी

  ओलिगोस्पर्मिया यह एक महाशय विकार है जिसमें पुरुषों के शुक्राणुओं की मात्रा असामान्य रूप से कम होती है। यह एक प्रजनन क्षमता से संबंधित समस्या है जो पुरुषों में पायी जा सकती है।  शुक्राणुओं का माप या गिनती मिलीलीटर (ml) में होता है, और ओलिगोस्पर्मिया के अनुसार, शुक्राणुओं की मात्रा निम्न होती है। आमतौर पर, यदि प्रति मिलीलीटर (ml) में शुक्राणुओं की संख्या 15 मिलियन से कम होती है, तो इसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है। इस स्थिति में, पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है और उन्हें गर्भधारण करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण कभी-कभी संतान प्राप्ति में देरी हो सकती है। ओलिगोस्पर्मिया के कारण कई हो सकते हैं, जैसे कि विषाणु निर्माण और मैट्यूरेशन की समस्याएं, शुक्राणुओं की उत्पादन को प्रभावित करने वाली बीमारियाँ, हॉर्मोनल असंतुलन, या उपयोगी परिवर्तनों के कारण शुक्राणुओं के निष्कासन में कमी। ओलिगोस्पर्मिया का संभावित उपचार व्यक्ति के लिए निर्धारित करेगा उनके शुक्राणुओं की मात्रा को प्रभावित करने वाले कारणों पर आधारित होगा। यह उपचार शामिल कर सकता है दवाओं का सेवन, स्वस्थ

थाइरोइड से बचने के उपाय।

  थाइरोइड रोग को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हो सकते हैं, जैसे कि आपके आहार, जीवनशैली, औषधि का उपयोग, आपकी आनुवंशिकता आदि। यहां कुछ उपाय हैं जिनका पालन करके आप थाइरोइड से बच सकते हैं: 1. स्वस्थ आहार: स्वस्थ और संतुलित आहार खाना थाइरोइड के लिए महत्वपूर्ण है। शाकाहारी भोजन, पर्याप्त पौष्टिकता वाले अनाज, फल, सब्जियां और प्रोटीन युक्त आहार लें। शुगर, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, ब्रेड, मैदा, आलू, गोभी, बांसी, मूली, सोया प्रोडक्ट्स, कैफीन, शराब, और बहुत अधिक आयोडीन से युक्त खाद्य पदार्थों को कम से कम खाएं। 2. व्यायाम: नियमित शारीरिक गतिविधि करना थाइरोइड स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। योग, प्राणायाम, ध्यान और नियमित व्यायाम जैसे तकनीकों को अपनाएं। 3. स्ट्रेस प्रबंधन: स्ट्रेस थाइरोइड को बढ़ा सकता है, इसलिए स्ट्रेस प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करें जैसे कि ध्यान, योग और अवकाश के लिए समय निकालें। मेडिटेशन, दीर्घ श्वासायाम, प्रतियोगितात्मक रिक्रिएशन जैसी तकनीकें आपको स्ट्रेस से राहत दिला सकती हैं। 4. नियमित डॉक्टर की जांच: नियमित रूप से अपने डॉक्टर की जांच कराएं और थाइरोइड संबंधित परीक्षण करवाएं।

थाइरोइड रोग: संक्षिप्त जानकारी

  थाइरोइड ग्लैंड (Thyroid Gland) मानव शरीर में स्थित होता है और हड्डियों के पीछे गले के नीचे स्थित होता है। यह ग्लैंड एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जो थाइरोक्सिन (Thyroxine) नामक हार्मोन को उत्पन्न करता है। थाइरोक्सिन हमारे शरीर की ऊर्जा स्तर को नियंत्रित करता है और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है। थाइरोइड ग्लैंड की समस्याएं थाइरोइड रोग के रूप में जानी जाती हैं। ये समस्याएं तीन प्रमुख तरीकों में हो सकती हैं: 1. हाइपरथाइरॉइडिज़म (Hyperthyroidism): जब थाइरोइड ग्लैंड अत्यधिक थाइरोक्सिन उत्पन्न करता है तो यह स्थिति होती है। इसमें व्यक्ति को अत्यधिक ऊर्जा, तेजी से दिल की धड़कन, थकान, खाने की पागलपन, वजन कम होना, और अनियमित मासिक धर्म के साथ अन्य लक्षण हो सकते हैं। 2. हाइपोथाइरॉइडिज़म (Hypothyroidism): जब थाइरोइड ग्लैंड थाइरोक्सिन उत्पन्न करने में कमी करता है तो यह स्थिति होती है। हाइपोथाइरॉइडिज़म (Hypothyroidism) में थाइरोक्सिन की कमी के कारण व्यक्ति को थकान, ठंड लगना, वजन बढ़ना, मानसिक स्थिति में बदलाव, मानसिक स्पष्टता की कमी, बालों का झड़ना, और शारीरिक गतिशीलता कम हो सकती है। 3. थाइर

प्रोस्टेट ग्लैंड का विवरण।

  प्रोस्टेट ग्लैंड (Prostate Gland) पुरुषों में पाया जाने वाला एक अहम अंग है। यह ग्लैंड लिंग (पुरुष जननांग) के नीचे, मूत्राशय के आसपास स्थित होता है। प्रोस्टेट ग्लैंड की मुख्य फ़ंक्शन है प्रोस्टेटिक तरल (prostatic fluid) का निर्माण करना।  प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार एक आंडा के समान होता है, और इसका वजन लगभग 20 ग्राम होता है। यह ग्लैंड मूत्राशय के निकटस्थ होने के कारण उसमें शामिल होने वाली यूरीनरी ट्रैक्ट के रोगों के संकेतक भी हो सकते हैं। प्रोस्टेट ग्लैंड में उच्च क्षेत्रफल वाले एक अंतर्जालीय कणिकाओं (intricate network of ducts) के माध्यम से प्रोस्टेटिक तरल निर्मित होता है। यह तरल स्पर्श, धातुओं के संचरण को सुविधाजनक बनाता है और जब पुरुष संभोग करता है, तो यह तरल वीर्य के साथ मिश्रित हो जाता है। प्रोस्टेटिक तरल वीर्य को ठंडा करता है और उसे सुरक्षित रखने में मदद करता है। अधिकांश मामलों में, प्रोस्टेट ग्लैंड स्वस्थ रहता है। प्रोस्टेट ग्लैंड को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण चरण होते हैं: 1. नियमित जांच: प्रोस्टेट ग्लैंड के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए नियमित चेकअप कराना अत्यंत म

यौन नपुंसकता (ED) समझें।

  इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) या यौन नपुंसकता एक पुरुषों में होने वाली स्वाभाविक यौन क्रियाओं में असमर्थता या पुरुषों के लिए सेक्सुअल आकर्षण प्राप्त करने, या यौन उत्तेजना को बनाए रखने में असमर्थता होना है। इस स्थिति में पुरुष अपने यौन क्षेत्र में सामरिक स्वास्थ्य या काम क्षमता की समस्याओं के कारण अपनी यौन संतुष्टि को प्राप्त नहीं कर पाता है। यह स्थिति कई कारणों से हो सकती है, जिनमें शामिल हैं: 1. सामरिक उत्तेजना को बनाए रखने के लिए यौन संचार के कार्य में कोई समस्या। 2. धातु या यौन निकटता की समस्याएं, जिसमें शामिल हो सकते हैं शारीरिक अस्वस्थता, मानसिक तनाव, डायबिटीज, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, उम्र, तंत्रिका संक्रमण, धूम्रपान और मद्यपान आदि। 3. अत्यधिक मानसिक तनाव या चिंता, यौन संबंधित डर या उपेक्षा। 4. यौन नपुंसकता के लिए उपयोग होने वाली नशीली दवाओं, अवैध दवाओं या अव्यवस्थित लेन देन। 5. वातावरणीय कारकों जैसे कि ध्यान केंद्रित न होना, यौन क्रियाओं की प्रतिबंधितता, अस्वस्थ जीवनशैली, अपूर्ण खानपान, व्यायाम की कमी आदि। 6. सामरिक उत्तेजना को प्रभावित करने वाली औषधियाँ या इलाजी उ

फिस्टुला (भगंदर) का उपचार

  फिस्टुला एक रोग है जिसमें शरीर के दो अलग-अलग जगहों के बीच एक नाली या संबंध बन जाता है। यह नाली आमतौर पर जब दो संदर्भित संरचनाओं के बीच मुख्य रुप से गंध या विषैले तत्वों को बाहर निकालने के लिए बनाई जाती है। यह मुख्य रूप से त्वचा, मलाशय, आंत, नस, नाली या गुदा के बीच बन सकती है। फिस्टुला की मुख्य वजहों में से एक शामिल हैं: 1. संक्रमण: किसी रोगाणु या अन्य पाथोजन के कारण शरीर में संक्रमण होने पर फिस्टुला बन सकती है। 2. गुर्दे की पथरी: कई मामलों में, गुर्दे की पथरी की वजह से भी फिस्टुला बन सकती है। 3. गुदा में एब्सेस: अगर गुदा में एब्सेस (गांठ) बन जाए तो यह एक फिस्टुला का कारण बन सकती है। फिस्टुला के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं: - जलन और दर्द का अनुभव - रक्तावरण से पानी या मल की निकलना - गांठ या छाले की उपस्थिति यह मान्य कारणों में से कुछ हैं, लेकिन कृपया ध्यान दें कि फिस्टुला के लक्षण और कारण व्यक्ति के शरीर के स्थान और प्रकार पर निर्भर कर सकते हैं। यह एक चिकित्सा पेशेवर द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए जो आपकी विशेष परिस्थितियों का मूल्यांकन करेगा और उचित उपचार की सिफारिश देगा। उपचार क