संदेश

हाथ पैर सुन्न कारण और निवारण

  हाथ और पैरों में सुन्न पड़ने के कई कारण हो सकते हैं और इन्हें निवारण करने के तरीके भी हो सकते हैं। यहां कुछ सामान्य कारण और निवारण के तरीके दिए गए हैं, लेकिन कृपया ध्यान दें कि यदि आपके सुन्न पड़ने की समस्या बार बार हो रही है या यह लंबे समय तक जारी रहती है, तो आपको एक चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। कारण: 1. ब्लड सर्कुलेशन की कमी: हाथ और पैरों के आसपास की नसों में खून का पर्याप्त पहुंच नहीं होने से सुन्न पड़ सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे उम्र का बढ़ना, धीमी गति वाली रक्त संचार, अवसाद, दिल संबंधी समस्याएं, दायित्वशीलता या उच्च रक्तचाप। 2. नसों की समस्याएं: नसों में संकोच होने, नसों के दबाव के कारण सुन्नता हो सकती है। यह नसों की समस्याओं जैसे नसों का दबाव, नसों में ब्लॉकेज या नसों का छिद्र निम्नता से हो सकता है। 3. न्यूरोलॉजिकल समस्याएं: कई न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी हाथ और पैरों के सुन्न होने का कारण बन सकती हैं, जैसे डायबिटीज, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, पेरिफेरल न्यूरोपैथी, गुर्दे की समस्याएं, सीवियर अनेमिया आदि। निवारण: 1. ब्लड सर्कुलेशन को सुधारें: एक्सरसाइज, व्यायाम, नियमित योगा

पेट में पानी कारण

 पेट के आंतों में पानी होने के कई कारण हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य कारणों को समझाया गया है: 1. एक्सरसाइज या ज्यादा शारीरिक कार्य: जब हम शारीरिक कार्य करते हैं जैसे कि दौड़ना, सांस लेना, या व्यायाम करना, तो हमारे शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता होती है और हम पसीने बहाते हैं। इससे शरीर में पानी की आपूर्ति की आवश्यकता होती है और आंतों में अधिक पानी जमा हो सकता है। 2. अवसाद या चिंता: मानसिक तनाव, अवसाद या चिंता आंतों में विभिन्न प्रकार की बदलाव पैदा कर सकती हैं, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, आंतों में पानी जमा हो सकता है। 3. पाचन संबंधी समस्याएं: कई पाचन संबंधी बीमारियाँ आंतों में पानी का निर्माण कर सकती हैं, जैसे कि मलसंचार संबंधी समस्याएं, अल्सर, इंफेक्शन या रोग। इन स्थितियों में, आंतों की भूमिका बदल जाती है और पानी जमा हो सकता है। 4. आंतों की संक्रमण: आंतों में संक्रमण होने पर, जैसे कि बैक्टीरियल या पैराजीटिक संक्रमण, आंतों के ऊतकों में प्रभावित होने वाली परिस्थितियों के कारण पानी जमा हो सकता है। यदि आपको इस समस्या के संबंध में चिंता है, तो सर्वोत्तम होगा कि आप एक

डॉक्टरों की डिग्रियां (Doctor degrees)

  MBBS (बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी) के बाद चिकित्सा विज्ञान में स्नातक स्तर की डिग्री प्राप्त की जाती है। यह डिग्री एक न्यूनतम पात्रता है और इसके बाद छात्र विभिन्न डिग्री या विशेषता की ओर बढ़ सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख डिग्री की सूची है जो MBBS के बाद प्राप्त की जा सकती है: 1. डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (MD): यह प्रोफेशनल डिग्री चिकित्सा विज्ञान के उच्चतर स्तरीय विशेषज्ञता को प्रदान करती है। एमडी के अनुभागों में मेडिसिन, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, डर्मेटोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, रेडियोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, और अन्य शामिल हो सकते हैं। यह डिग्री छात्रों को विशेषता में मास्टरी प्राप्त करने का अवसर देती है और उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य सेवा प्रदाता संगठनों, अस्पतालों या विश्वविद्यालयों में नियुक्त किया जा सकता है। 2. डॉक्टर ऑफ सर्जरी (MS): यह डिग्री शल्य चिकित्सा के उच्चतर स्तरीय विशेषज्ञता को प्रदान करती ह ै। MS के अनुभागों में जैसे कि जनरल सर्जरी, एन्ट, ऑर्थोपेडिक्स, गाइनेकोलॉजी, यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, और विशेष रूप से विभिन्न शल्य विज्ञानों को शामिल किया जा सकता है। यह डिग्री सुर्जरी में विशेष

गॉल ब्लैडर हटाने की शल्य चिकित्सा

  गॉल ब्लैडर (Gall bladder) हमारे पाचन तंत्र में एक महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन क्रिया में मदद करता है। यह पत्थरों (गॉल स्टोन्स) के बनने का स्थान भी होता है और पाचन रसों को स्टोर भी करता है। गॉल ब्लैडर नदी (गॉल ब्लैडर डक्ट) द्वारा पत्थरों को छोड़ता है और पाचन रसों को अपने महत्वपूर्ण भूमिका में मदद करता है। गॉल ब्लैडर हटाने की शल्य चिकित्सा (Gall bladder removal surgery) या कोलेस्टेक्टोमी (Cholecystectomy) कहलाती है। यह विधि जब तक गॉल ब्लैडर की समस्याओं के लिए सुझावों और औषधियों से निदान नहीं होता है, तब किया जाता है। यह अवसादी तरीका है जिसमें गॉल ब्लैडर को पूरी तरह से हटा दिया जाता है। कोलेस्टेक्टोमी दो तरीकों से की जा सकती है: 1. खुली शल्य चिकित्सा (Open Surgery): इसमें चिकित्सक एक बड़ी कटाई करके पेट के ऊपरी हिस्से में पहुंचते हैं और गॉल ब्लैडर को हटा देते हैं। यह उपचार बड़ी गॉल स्टोन्स, संक्रमण या गॉल ब्लैडर की स मस्याओं के लिए आवश्यक हो सकता है। 2. लेप्रोस्कोपिक शल्य चिकित्सा (Laparoscopic Surgery): इस तकनीक में, चिकित्सक छोटे चीरों के माध्यम से गॉल ब्लैडर को हटा देते हैं। इसमें एक छो

फैटी लिवर: कारण और उपचार

  फैटी लिवर या स्टीटोहेपाटाइटिस, एक सामान्य रूप से अनुक्रमिक रूप से विकसित होने वाली समस्या है जिसमें आपके लिवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाता है। यह स्थिति आपके लिवर को स्वस्थ्य रूप से काम करने में असमर्थ बना सकती है और इसे विकारी बना सकती है। फैटी लिवर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे: 1. अल्कोहलिक या नशीले पेय: अधिक मात्रा में अल्कोहल या अन्य नशीले पेय का सेवन करने से लिवर का विकास हो सकता है। 2. मोटापा और अस्वस्थ आहार: अधिक मात्रा में भोजन का सेवन करना और मोटापा लिवर में वसा जमा कर सकता है। 3. डायबिटीज: डायबिटीज के मरीजों में उच्च रक्त शर्करा स्तर से लिवर को नुकसान पहुंच सकता है और फैटी लिवर का कारण बन सकता है। 4. मेटाबोलिक सिंड्रोम: मेटाबोलिक सिंड्रोम शरीर की कुछ बीमारियों (मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा) के संयोग के कारण होता है, जो फैटी लिवर का कारण बन सकता है। फैटी लिवर का उपचार निम ्नलिखित मामलों पर निर्भर करता है: 1. बदलते आहार: स्वस्थ और नियमित आहार लेना, जिसमें कम मात्रा में वसा, उच्च प्रोटीन और पूरे अनाज शामिल हों। मीठा, पकाने के तेल, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और शराब का सेवन कम कर

नींद में पेशाब की समस्या 10 से 18 साल के बच्चो को क्यो होती है नींद में पेशाब

  10 से 18 साल के बच्चों में नींद में पेशाब की समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं। यह आमतौर पर "नींद में बेड़-बाथरूम करना" या "नींद में यूरिनेशन" के रूप में जाना जाता है। इसके कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं: 1. विकासात्मक कारण: बच्चों के शरीर के अंग समय-समय पर विकसित होते रहते हैं, जिसके कारण पेशाब कंट्रोल करने का क्षमता सही तरीके से विकसित नहीं हो सकती है। यह कारण अधिकांश बच्चों में सामान्य होता है और समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाता है। 2. अधिक पीना: यदि बच्चा रात में ज्यादा पानी पीता है, तो उसकी मूत्राशय में अधिक मात्रा में मूत्र बनता है, जिसके कारण वह नींद में पेशाब कर सकता है। 3. गहरी नींद: कुछ बच्चों को इतनी गहरी नींद होती है कि उनके दिमाग को यह महसूस नहीं होता कि उन्हें पेशाब करने की आवश्यकता है। 4. तनाव या चिंता: चिंता, तनाव या चिंता भरे स्थितियों में, बच्चों को नींद में अपने मूत ्र संबंधी इंद्रियों को कंट्रोल करने में समस्या हो सकती है। 5. स्वास्थ्य समस्याएं: कई स्वास्थ्य समस्याएं भी नींद में पेशाब की समस्या का कारण बन सकती हैं, जैसे कि मूत्र मार्ग

हिपेटाइटिस के लक्षण (Hepatitis Symptoms)

  हिपेटाइटिस एक रोग है जो अक्रिय या सक्रिय रूप से लिवर की संक्रमण और सूजन का कारण बनता है। यह एक इन्फेक्शन रोग है जो वायरस, बैक्टीरिया, या अन्य कारकों के कारण हो सकता है। हिपेटाइटिस कई प्रकार की होती है, प्रमुख रूप से आइएचवी (HCV), एचबीवी (HBV), और सी (C) वायरस के इंफेक्शन के कारण होती हैं। हिपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, और ई के मुख्य रूप से पांच प्रकार होते हैं। हिपेटाइटिस के लक्षण और संकेत मायने रखते हैं, इसलिए यह अलग-अलग मानव वायरसों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण इसमें शामिल हो सकते हैं, जैसे कि थकान, पेट में दर्द, उबकाई, उल्टी, बौद्धिक कमजोरी, रंग की हल्की पीलापन, त्वचा में खुजली, आंखों और नाखूनों की पीलापन, और मूत्र या बबासीर में रंग का परिवर्तन। हिपेटाइटिस का पूर्ण निदान करने के लिए चिकित्सकीय परीक्षण, जैसे कि रक्त परीक्षण और इमेजिंग टेस्ट, किया ज ाता है। उपचार का निर्धारण हिपेटाइटिस के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में, इलाज के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में टीकाकरण (वैक्सीनेशन) भी संभव होता है। संक्रमण के गंभीर मामलो